TYPES OF SAREE
TYPES OF SAREE भारत की संस्कृति की धरोहर भारत की विविधता सिर्फ उसकी संस्कृतियों और परंपराओं में ही नहीं बल्कि उसके कपड़ों में भी बसी हुई है सारी जो एक पारंपरिक भारतीय परिधान है भारतीय महिलाओं की शान और पहचान का प्रतीक है हर राज्य में साड़ी के अपने अनूठे डिजाइन रंग और पहनने के तरीके होते हैं इस ब्लॉग में हम भारत की विभिन्न प्रकार की साड़ी के बारे में चर्चा करेंगे also
साड़ी का इतिहास
साड़ी का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है प्राचीन काल में इसे न केवल कपड़े के रूप में देखा जाता था बल्कि यह एक सामाजिक और धार्मिक पहचान का भी प्रतीक था समय के साथ-साथ साड़ी के डिजाइन और पहनने के तरीके में बदलाव आया है लेकिन उसकी सुंदरता और गरिमा हमेशा बनी रही है also
TYPES OF SAREE भारत की विभिन्न प्रकार की साड़ियां
1-TYPES OF SAREE बनारसी साड़ी
बनारसी साड़ी उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में से आती है यह साड़ी अपने शानदार जरी वर्क कार्य और बुनाई के लिए जानी जाती है आमतौर पर यह रेशम की होती है और इसे शादी ब्याह में विशेष रूप से पहना जाता है बनारसी साड़ी की खासियत यह है कि इसमें पारंपरिक भारतीय कला और संस्कृति का समावेश होता है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
2-TYPES OF SAREE कांचीपुरम साड़ी
तमिलनाडु की कांचीपुरम साड़ी विश्व प्रसिद्ध है यह सारी मुख्य रूप से रेशम से बनाई जाती है और इसमें जारी का काम होता है कांचीपुरम साड़ी का डिजाइन आमतौर पर जीवंत रंगों में होता है जो इसे हर मौके पर पहनने के लिए उपयुक्त बनता है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
3-TYPES OF SAREE जॉर्जेट साड़ी
जॉर्जेट साड़ी TYPES OF SAREEआधुनिकता और परंपरिकता का एक बेहतरीन मेल है यह साड़ी हल्की और आरामदायक होती हैजिसे खास अवसरों पर पहना जा सकता है जॉर्जेट साड़ी में विभिन्न प्रकार के प्रिंट और डिजाइन उपलब्ध है जो इस युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनता है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
4TYPES OF SAREE चंदेरी साड़ी
मध्य प्रदेश के चंदेरी शहर से आने वाली चंदेरी साड़ी को इसकी विशेष बनाई और हल्के रश्मि फैब्रिक के लिए जाना जाता हैयह सरिया आमतौर पर गर्मियों में मौसम में पहनने के लिए सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि यहहॉकी और सांस लेने योग्य होती है होती है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
5TYPES OF SAREE बांधनी साड़ी
राजस्थान की बंदरी साड़ी TYPES OF SAREE को इसकी अनोखी बनते तकनीक के लिए जाना जाता है यह साड़ियां रंगीन होती है और इनमें पारंपरिक राजस्थानी कला का समावेश होता है बांधनी साड़ी खास तौर पर त्योहार और सारी शादी ब्याह में पहनी जाती हैसाड़ी के विभिन्न प्रकार है
6TYPES OF SAREE मणिपुरी साड़ी
मणिपुरकी सारीपारंपरिक मणिपुरी संस्कृति की पहचान है इसे इइरिंग कहा जाता हैऔर यह अवसररंग बिखरे डिजाइन और कढ़ाई के साथ आती है मणिपुरी साड़ी आमतौर पर हल्की होती है और इसे खास अवसरों पर पहना जाता है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
7TYPES OF SAREE तिरु पूरी साड़ी
तिरु पूरी शादी आंध्र प्रदेश से आती है यह साड़ियां विशेष रूप से त्योहार और विवाहों के लिए प्रसिद्ध है तिरु पूरी साड़ी का डिजाइन आमतौर पर सोने की जड़ी और रंगीन पैटर्न से भरा होता है जो इस खास बनाता है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
8TYPES OF SAREE पटोला साड़ी
गुजरात की पटोला साड़ी को इसकी जटिल डिजाइन और बनाई तकनीक के लिए जाना जाता है यह सारी विशेष रूप से सादिया और त्योहार के लिए पहनी जाती है पटोला साड़ी की खासियत यह है कि इस उल्टा पहनने पर भी यह समान रूप से सुंदर दिखती है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
9TYPES OF SAREE लहरिया साड़ी
राजस्थान की लहरिया साड़ी अपने विशेष लहरदार डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है यह साड़ियां आमतौर पर हल्के कपड़े से बनी होती है और इनमें चटक रंगों का उपयोग किया जाता है लहरिया साड़ी का पहनावा गर्मियों के मौसम में बहुत लोकप्रिय है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
10 TYPES OF SAREE मटका साड़ी
मटका साड़ी का निर्माण विशेष रूप से भारतीय कारीगरों द्वारा किया जाता है यह साड़ियां आमतौर पर भव्य रंगों और अनोखे पैटर्न के लिए जानी जाती है मटका साड़ी का प्रयोग विशेष अवसरों पर किया जाता है जैसे की शादी और त्योहार साड़ी के विभिन्न प्रकार है
11TYPES OF SAREE हांउल साड़ी
हांउल साड़ी कर्नाटक से आती है और इसे आमतौर पर त्योहार और शादियों में पहना जाता है इस शादी में रंगीन कढ़ाई और जारी का काम होता है जो इसे और भी आकर्षक बनाता है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
12TYPES OF SAREE टिशु साड़ी
टिशु साड़ी अपनी हल्की और चमकदार बनावट के लिए जानी जाती है यह आमतौर पर विशेष अवसरों पर पहनी जाती है और इसमें शानदार रंगों का उपयोग किया जाता है टिशु साड़ी की खासियत यह है कि यह पहनने में बेहद आरामदायक होती है साड़ी के विभिन्न प्रकार है
साड़ी के विभिन्न प्रकार है above all
साड़ी पहनने का तरीका
साड़ी पहनने के कई तरीके हैं जो इसे विभिन्न अवसरों पर पहनने के लिए अनुकूल बनाते हैं कुछ सामान्य तरीकों में शामिल है
TYPES OF SAREE नॉर्थ इंडियन स्टाइल
में साड़ी को कमर के चारों ओर लपेटा जाता है और पल्लू को एक कंधे पर रखा जाता है
TYPES OF SAREE साउथ इंडियन स्टाइल
इसमें साड़ी को कमर के चारों और लपेटने के बजाय इसे सीधे एक कंधे पर रखा जाता है और पल्लू को पीछे से लपेटा जाता है above all
TYPES OF SAREE बंगाली स्टाइल
इस स्टाइल में साड़ी को कंधे पर लपेटा जाता हैऔर पल्लू को फांसी तरीके से सजाया जाता है
साड़ी का महत्व
साड़ी सिर्फ एक कपड़ा नहीं है यह भारतीय संस्कृति का विभिन्न हिस्सा है यह भारतीय महिलाओं की गरिमा सुंदरता और परंपरा को प्रदर्शित करती है शादी ब्याह त्योहार और अन्य खास अवसरों पर साड़ी पहनना एक विशेष महत्व रखता है
साड़ी की देखभाल
साड़ी को देखभाल करना भी बहुत जरूरी है इसे धोने से पहले हमेशा लेवल पड़े ज्यादातर साड़ियां हाथ से धोई जाती है क्योंकि मशीन में धोने से उसकी गुणवत्ता प्रभावित होती हो सकती है हमेशा हल्के साबुन का उपयोग करें और इसे सीधे धूप में ना सुखाय above all
निष्कर्ष
भारत की विभिन्न प्रकार की साड़ियां में केवल कपड़े का परिवर्तन नहीं है बल्कि यह उसकी संस्कृति कला और परंपरा काभी प्रतीक है चाहे वह बनारसी साड़ी हो या मणिपुरी हर साड़ी अपनी खासियत और कहानी लेकर आती है साड़ी न केवल भारतीय महिलाओं की पहचान है बल्कि यह उनकी गरिमा और आत्म सम्मान का भी प्रतीक है अगर आप भारतीय संस्कृति के इस अनुच्छेद कपड़े का अनुभव लेना चाहते हैं तो विभिन्न विभिन्न प्रकार की साड़ियों को अपने वोटरॉब में शामिल करना ना भूले above all
साड़ी भारतीय महिलाओं के लिए सिर्फ एक परिधान नहीं है यह उनकी पहचान है उनकी कला है और उनकी संस्कृति का हिस्सा है इसलिए हर महिला को अपनी पसंदीदा साड़ी पहन कर अपने आप को संजना चाहि above allए
इस प्रकार भारतीय साड़ीकेवल एक कपड़ा नहीं है बल्कि यह एक कहानी है जो हमें हमारे अतीत से जोड़ती है और हमारे भविष्य की दिशा निर्धारित करती है इस अद्भुत परिधान के साथ जुड़े और इसे अपनी जिंदगी में शामिल करें
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